क्या है UCC,क्यों ये कानून बना बहस का मुद्दा।
2024 के चुनाव को लेकर सभी पार्टियों की तैयारियां जोरों पर है। जहाँ एक तरफ क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां सरकार को कई मुद्दों पर घेरने का प्रयास कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार नए नए कानून ला रही हैं। ऐसे में यूनिफार्म सिविल कोड जिस पर लगातार चर्चा जारी है यह कानून बहस का मुद्दा बनता जा रहा है। यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होने के लिए एक देश एक नियम का आह्वान करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ शब्द का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।
समान नागरिक संहिता क्या है (What is Uniform Civil Code)
समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक कानून को लागू करेगी जिसके अनुसार सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे संपत्ति, विवाह, विरासत और गोद लेने आदि में लागू होगा। इसका मतलब यह है कि हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून आवेदन अधिनियम (1937) जैसे धर्म पर आधारित मौजूदा व्यक्तिगत कानून तकनीकी रूप से भंग हो जाएंगे।
इस कानून को लेकर कानूनी विशेषज्ञ इस बात पर बंटे हुए हैं कि क्या किसी राज्य के पास समान नागरिक संहिता लाने की शक्ति है। इसमें कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि विवाह, तलाक, विरासत और संपत्ति के अधिकार जैसे मुद्दे संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आते हैं, जो 52 विषयों की सूची है, जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। लेकिन अनुच्छेद 44 कहता है कि एक यूसीसी ‘भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों’ पर लागू होगा, जिसका अर्थ यह प्रतीत होता है कि अलग-अलग राज्यों के पास वह शक्ति नहीं है। यूसीसी लाने के लिए राज्यों को शक्ति देने से कई व्यावहारिक मुद्दे भी सामने आ सकते हैं।
समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड का मुद्दा लम्बे समय से बहस का बिषय बन चुका है कई पार्टी जोर देती रही है कि इसे लेकर संसद में कानून बनाया जाए। भाजपा के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में इस कानून को शामिल किया गया था।
अनुच्छेद 44 का उद्देश्य कमजोर समूहों के खिलाफ भेदभाव को दूर करना और देश भर में विविध सांस्कृतिक समूहों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। डा. बीआर आंबेडकर ने संविधान तैयार करते समय कहा था कि यूसीसी वांछनीय है, लेकिन फिलहाल यह स्वैच्छिक रहना चाहिए। इस प्रकार संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 35 को भाग IV में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के हिस्से के रूप में जोड़ा गया था। सामान नागरिक संहिता की उत्पत्ति की बात करे तो औपनिवेशिक काल में इस कानून की उत्पति हुई।